राज्यसभा में 17 राज्यों की 55 सीटों पर 26 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए तमाम दलों ने राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के पीछे का मकसद राज्यसभा के चुनाव को ही माना जा रहा है। हालांकि द्रमुक के अलावा अभी किसी भी दल ने अपने राज्यसभा प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है।
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राज्यसभा में 17 राज्यों की 55 सीटों पर सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल महीने की अलग-अलग तारीखों पर पूरा हो रहा है। महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से चुने गए सदस्य दो अप्रैल को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, जबकि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, मणिपुर, असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्यप्रदेश और हिमाचल के संदस्यों का कार्यकाल नौ अप्रैल और मेघालय के सदस्यों का कार्यकाल 12 अप्रैल को समाप्त होगा।
महाराष्ट्र की सात, ओडिशा की चार, तमिलनाडु की छह, पश्चिम बंगाल की पांच, आंध्र प्रदेश की चार, तेलंगाना की दो, असम की तीन, बिहार की पांच, छत्तीसगढ़ की दो, गुजरात की चार, हरियाणा की दो, हिमाचल की एक, झारखंड की दो, मध्य प्रदेश की तीन, मणिपुर की एक, राजस्थान की तीन और मेघायल की एक राज्यसभा सीटों पर चुनाव होगा।
राज्यसभा की इन 55 सीटों में से 15 भाजपा के पास हैं, जबकि तीन जनता दल (युनाइटेड) और चार सीटें ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के पास हैं। इनके अलावा बीजू जनता दल (बीजद) के भी दो सदस्य हैं। वहीं विपक्षी दलों में कांग्रेस के 13 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है और 18 सदस्य अन्य दलों के हैं, जिनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल शामिल हैं।
राज्यसभा में जिन नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें उपसभापति हरिवंश सिंह, महाराष्ट्र से आरपीआई नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, राकांपा प्रमुख शरद पवार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, कुमारी शैलजा, डॉ. संजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और प्रभात झा जैसे नेता शामिल हैं।
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