मन की बात : नई पीढ़ी को अराजकता परिवारवाद पसंद नहीं

Last Updated 30 Dec 2019 07:26:50 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को साल के आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि नई पीढ़ी को अराजकता, जातिवाद, परिवारवाद आदि पसंद नहीं है।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

उसे अव्यवस्था से भी चिढ़ है। ऐसे में आने वाला दशक निश्चित तौर पर युवाओं और उनके सामथ्र्य के साथ देश के विकास का दशक साबित होगा।
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, आने वाला दशक न केवल युवाओं के विकास का होगा, बल्कि युवाओं के सामथ्र्य से, देश का विकास करने वाला भी साबित होगा और भारत को आधुनिक बनाने में इस पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। उन्होंने अपने संबोधन में लोगों से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने हाल के सूर्य ग्रहण और भारतीय खगोल विज्ञान के प्राचीन इतिहास का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम सब अनुभव करते हैं कि हमारी ये पीढ़ी बहुत ही प्रतिभाशाली है। कुछ नया करने का, अलग करने का, उसका ख्वाब रहता है। उसके अपने विचार भी होते हैं और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है, और विशेषकर इन दिनों युवाओं को हम देखते हैं, तो वो व्यवस्था को पसंद करते हैं ।
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब संशोधित नागरिकता कानून सहित कुछ अन्य विषयों पर छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ है । इन विरोध प्रदर्शनों ने कुछ स्थानों पर हिंसक रूप भी ले लिया। मोदी ने कहा कि 2019 की विदाई का पल हमारे सामने है। तीन दिन के भीतर 2019 विदाई ले लेगा और हम ना सिर्फ 2020 में प्रवेश करेंगे, नए साल में प्रवेश करेंगे, नए दशक में प्रवेश करेंगे, 21वीं सदी के तीसरे दशक में भी प्रवेश करेंगे। मैं सभी देशवासियों को 2020 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।



तारों से हमारा संबंध सभ्यता जितना ही पुराना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालिया सूर्य ग्रहण का उल्लेख करते हुए रविवार को कहा कि भारत में खगोल विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है और तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है।
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, अभी 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण था। इसे लेकर मेरे मन में भी तमाम देशवासियों, विशेष तौर पर मेरे युवा साथियों की तरह ही उत्साह था। मैं भी, सूर्य ग्रहण देखना चाहता था। लेकिन उस दिन दिल्ली में बादल छाए रहने के कारण मैं वह आनंद नहीं ले पाया। हालांकि, टीवी पर कोझीकोड और भारत के दूसरे हिस्सों में दिख रहे सूर्य ग्रहण की सुंदर तस्वीरें देखने को मिलीं। उन्होंने कहा कि उस दिन उन्हें कुछ विशेषज्ञों से संवाद करने का अवसर भी मिला जिन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होने की वजह से पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता। उन्होंने भारत में खगोल विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है। आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है । मोदी ने इस संबंध में जंतर-मंतर वेधशाला का जिक्र किया और कहा कि इसका खगोल शास्त्र से गहरा संबंध है । उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक आर्यभट ने काल क्रिया में सूर्य ग्रहण के साथ-साथ, चन्द्र ग्रहण की दार्शनिक और गणितीय दोनों ही दृष्टिकोण से विस्तृत व्याख्या की है । भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस भाव को और ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किये। बाद में, चौदहवीं-पंद्रहवीं सदी में, केरल में, संगम ग्राम के माधव ने ब्रह्मांड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए कैलकुलस का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले उन्होंने ‘प्री मॉडर्न कच्छी - नेविगेशन टेक्नीक एंड वायेज’ पुस्तक का विमोचन किया था। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक एक नाविक मालम की डायरी है जिसमें, प्राचीन नौवहन का, तारों का, तारों की गति का वर्णन किया है।

समाज की भलाई के लिए ‘संकल्प 95’ एक मिसाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाज की भलाई के कार्यों से देश को आगे बढ़ाने में हर नागरिक से योगदान देने का आह्वान करते हुए आज कहा कि बिहार के चंपारण के एक हाई स्कूल के पूर्व छात्रों का ‘संकल्प 95’ सबके लिए मिसाल है।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के भैरवगंज स्वास्थ्य केंद्र में हाई स्कूल के पूर्व छात्रों द्वारा अस्पतालों के सहयोग से लगाए गए निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का उदाहरण दिया। इन पूर्व छात्रों ने समाज के लिए कुछ करने की ठानी और आस पास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का जिम्मा लिया। उनकी इस मुहिम से बेतिया का सरकारी मेडिकल कालेज और कई अन्य अस्पताल भी जुड़ गए। उन्होंने कहा कि इस शिविर में हजारों की भीड़ ने अपनी जांच करायी और इसका जिक्र मीडिया के जरिये सब जगह हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हाई स्कूल के 1995 बैच के पूर्व छात्रों की ‘अलुमनी मीट’ के कारण संभव हुआ। इस बैठक में पूर्व छात्रों ने लोगों की भलाई के लिए कुछ अलग करने की बात सोची और उसे ‘संकल्प 95’ नाम दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के संकल्पों से दूसरों को प्रेरणा मिलती है और विशेषकर युवाओं को इसमें बढ़ चढ़ कर आगे आना चाहिए। जब समाज में इस तरह की चीजें होती हैं तो देश तो आगे बढ़ता ही है हर किसी को आनंद आता है, संतोष मिलता है और जीवन में कुछ करने की प्ररेणा भी मिलती है।
उन्होंने कहा, हम अक्सर ये बात कहते हैं कि जब देश का हर नागरिक एक कदम आगे बढ़ता है, तो ये देश, 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है। देशवासियों को नव वर्ष की बधाई देते हुए उन्होंने कहा , नया वषर्, नया दशक, नये संकल्प, नयी ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्साह - आइये चल पड़ें। संकल्प की पूर्ति के लिए सामथ्र्य जुटाते चलें। दूर तक चलना है, बहुत कुछ करना है, देश को नई ऊंचाइयों पर पहुँचना है। 130 करोड़ देशवासियों के पुरुषार्थ पर, उनके सामथ्र्य पर, उनके संकल्प पर, अपार श्रद्धा रखते हुए, आओ, हम चल पड़ें।

भाषा
नई दिल्ली


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