येचुरी को SC से मिली इजाजत, गुरुवार को जाएंगे जम्मू-कश्मीर
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को उनके पार्टी सहयोगी मोहम्मद यूसुफ तारीगामी से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट, सीताराम येचुरी (फाइल फोटो) |
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की एक पीठ ने हालांकि येचुरी को निर्देश दिया कि जम्मू कश्मीर जाकर वह सिर्फ तारीगामी से मिलें और अपनी यात्रा का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए न करें।
पीठ ने कहा कि अगर येचुरी किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल होते हैं तो अधिकारी इस बारे में उच्चतम न्यायालय को बताने के लिए स्वतंत्र हैं।
उच्चतम न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद येचुरी अपने पार्टी सहयोगी और पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी से मुलाकात करने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर जाएंगे।
येचुरी ने कहा कि उनकी यात्रा के लिए ‘जो कुछ भी किए जाने की आवश्यकता है’, वह वे सब कुछ करेंगे।
न्यायालय ने येचुरी को उनके पार्टी सहयोगी मोहम्मद यूसुफ तारिगामी से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने की बुधवार को अनुमति दे दी। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद प्राधिकारियों ने तारिगामी को हिरासत में ले लिया गया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की एक पीठ ने येचुरी को निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर जाने के बाद वह सिर्फ तारिगामी से मिलें और अपनी यात्रा का इस्तेमाल किसी भी ‘राजनीतिक उद्देश्य’ के लिए न करें।
येचुरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने यूसुफ तारिगामी को पेश करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने अब मुझे तारिगामी के पास जाने और उनके स्वास्थ्य के बारे में न्यायालय को जानकारी देने की अनुमति दे दी है। इसके बाद मामला आगे बढ़ेगा। यह अभी अंतरिम आदेश है, इसलिए अभी मामला बंद नहीं हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लौटने के बाद, मामला आगे बढ़ेगा। मैं तारिगामी से मिलने की कोशिश करूंगा और इस आदेश के बाद प्राधिकारियों को मेरी यात्रा की व्यवस्था करनी चाहिए। मैं न्यायालय के आदेश के अनुसार कल जाऊंगा। मेरी यात्रा के लिए हमें जो कुछ भी करने की आवश्यकता है, हम वह करेंगे।
येचुरी ने कहा कि वह लौटने के बाद न्यायालय में शपथपत्र दाखिल करेंगे।
माकपा नेता इस महीने जम्मू-कश्मीर जाने की दो बार कोशिश कर चुके हैं। उन्होंने एक बार भाकपा महासचिव डी राजा और दूसरी बार विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ वहां जाने का प्रयास किया था।
उन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश पर दोनों बार श्रीनगर हवाईअड्डे से लौटना पड़ा था। उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए प्रवेश नहीं करने दिया गया था।
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