बीजेपी ‘आतंकवाद का प्रतीक’: कांग्रेस प्रवक्ता

Last Updated 23 Jul 2013 04:04:58 PM IST

कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने मंगलवार को बीजेपी को ‘आतंकवाद का प्रतीक’ करार दिया.


बीजेपी ‘आतंकवाद का प्रतीक’: अफजल (फाइल फोटो)

सत्तारूढ पार्टी पहले ही शकील अहमद के बयान के कारण राजनीतिक तूफान से घिर गई है जिसमें कहा गया था कि 2002 के गुजरात दंगों के कारण आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का गठन हुआ. अब अफलज के इस बयान से नया विवाद उत्पन्न होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.

मीडिया कार्यशाला से इतर अफलज ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा आतंकवाद का प्रतीक है.. 2002 में गुजरात में उन्होंने जो कुछ किया वह आतंकवाद से कम नहीं है.’’

वह 2002 के गुजरात दंगों के बाद इंडियन मुजाहिदीन का गठन होने की अहमद की टिप्पणी पर भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे.

अफजल ने कहा, ‘‘अतांकवाद का मतलब निर्दोष लोगों की हत्या और उन्हें नुकसान पहुंचाये जाने के अलावा क्या है. भाजपा ने जो किया है, उसके बारे में मैं कोई नयी बात नहीं कह रहा हूं. मीडिया भी यही कहती रही है.’’

उन्होंने गुजरात दंगों को राज्य प्रायोजित आतंकवाद करार दिया.

अहमद की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर अफजल ने कहा कि पार्टी महासचिव ने स्वयं कहा है कि यह उनकी निजी टिप्पणी थी.

अहमद के विवाद के बाद उठे विवाद को कमतर करने करने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर पार्टी में अलग अलग तरह के विचार हैं, तब इसे लोकतंत्र की मजबूती के रूप में लिया जाना चाहिए. अगर यह उनके निजी विचार हैं, तब इसके बारे में उनसे (अहमद) पूछें.’’

बहरहाल, इस बारे में विवाद उठने पर शकील अहममद ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.

हालांकि पार्टी के नेता इस बैठक के बारे में कुछ भी नहीं बता रहे है कि क्या उन्हें विवाद के बारे में सोनिया गांधी ने तलब किया था.

वहीं, भाजपा के हमलों से अप्रभावित शकील अहमद ने आज मुख्य विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह एनआईए के उस आकलन से लोगों का ध्यान बांटने की कोशिश कर रही है कि 2002 के गुजरात दंगों के परिणामस्वरूप आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का गठन हुआ.

अहमद की इस टिप्पणी से कांग्रेस ने अपने आप को अलग कर लिया था और कल कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा था, ‘‘अभी तक यह पार्टी लाइन नहीं रही है.’’

ट्विटर पर उनके विवादास्पद बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस को आडे हाथों लिया था और इसे चुनावी फायदा हासिल करने और 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले साम्प्रदायिकरण करने का प्रयास करार दिया था.

अहमद ने हालांकि इसे एनआईए के आकलन से लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास करार दिया है. ट्विटर पर लिखा, ‘‘नाटकीय ढंग से भाजपा प्रवक्ताओं के शोर शराबे के कारण मेरे बयान को लेकर एनआईए के आकलन से देश का ध्यान बांटने की कोशिशें की जा रही हैं.’’

उन्होंने कहा कि मेरा बयान मेरी खोज नहीं है और ट्विट में कही गई बात मेरा बयान नहीं है बल्कि यह एनआईए की खोज है जिसका उल्लेख आरोपपत्र में किया गया था और दो अंग्रेजी अखवार में प्रकाशित हुई थी और इसके बाद मेरा ट्विट प्रकाशित किया गया.

अहमद ने कहा, ‘‘मैं खुश हूं कि अखबार उस तरह का हौवा नहीं खडा कर पाये जैसा मेरे छोटे से ट्विट ने किया.’’
 



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