Pradosh Vrat 2023 Aarti : आज प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें शिव जी की ये आरती, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

Last Updated 26 Oct 2023 08:53:00 AM IST

Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics In Hindi - ओम जय शिव ओमकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा ॥


Pradosh Vrat 2023 Aarti: आज 26 अक्टूबर 2023 को गुरु प्रदोश व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को करने से मनुष्यों को उसके सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और उसके सब कष्टों का निवारण होता है। शिव परिवार की उपासना करने वालों को सुयोग्य संतान मिलती है। यह व्रत प्रदोषमप्रदोष (सूर्यास्त के बाद रात्रि का सबसे पहला पहर) काल में किया जाता है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान शंकर को खुश करने के लिए भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं।  इस दिन विधि - विधान से पूजा करके व्रत कथा का पाठ किया जाता है। ऐसा करने से शंकर जी प्रसन्न होते हैं और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। पूजा के बाद भगवान शिव की आरती भी की जाती है, तभी ये व्रत पूरा माना जाता है। तो चलिए आप भी पढिए प्रदोष व्रत की आरती।

Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics In Hindi - ओम जय शिव ओमकारा आरती - Pradosh Vrat 2023 Aarti Lyrics In Hindi

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ओम जय शिव ओंकारा ॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित

ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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