युवा और नशा
नशीले पदार्थ सरकारों और धर्मो से अधिक शक्तिशाली प्रमाणित हुए हैं, क्योंकि किसी ने नशीले पदार्थ लेने वालों के मनोविज्ञान को समझने का प्रयास नहीं किया सारे धर्म और सरकारें सदा से नशीलें पदार्थों के विरुद्ध रही है: सभी धर्मो की हमेशा से यही कोशिश रही है कि लोग नशीली दवाएं न लें।
आचार्य रजनीश ओशो |
सरकारों ने भी हमेशा नशीले पदाथरे का विरोध किया है, लेकिन धर्म और सरकारें इसलिए नशीले पदार्थों के विरुद्ध रही है क्योंकि वे मनुष्य को दुखी और पीड़ित ही देखना चाहते हैं।
पीड़ा में मनुष्य कभी विद्रोही नहीं हो सकता। जब वह बहुत दुखी और भीतर से टूट रहा होता है तो वह एक नये समाज, एक नई संस्कृति, एक नये मानव और एक नये युग की कल्पना भी नहीं कर सकता। अपने दुख के कारण वह सहजता से पंडितों और पुजारियों का शिकार बन जाता है। वे उसे सांत्वना देते हैं, उससे कहते हैं कि धन्य हैं वे जो गरीब हैं, धन्य हैं वे जो विनम्र हैं, धन्य हैं वे जो दुखी हैं, क्योंकि वे ही ईश्वर के राज्य के अधिकारी हैं।
यह पीड़ित मनुष्यता राजनीतिज्ञों के हाथों में खेलती है, क्योंकि दुखी मनुष्य को एक आशा चाहिए भविष्य में-एक बेहतर समाज की आशा, एक ऐसे समाज की आशा जहां दुख और पीड़ा न हो। वे अपनी पीड़ा को सहन कर सकते हैं अगर उन्हें दूर क्षितिज में एक स्वर्णयुग की आशा बनी रहे। और स्वर्णयुग आता ही नहीं कभी। बिल्कुल ऐसे जैसे कि मृगमरीचिका होती है-उसके पीछे तुम दौड़ते रहो, दौड़ते रहो लेकिन कभी उसे पा न सकागे। जब तक कि तुम थोड़ा आगे बढ़ोगे वह और आगे खिसक जाएगी। लेकिन एक आशा बंधी रहती है। राजनीतिज्ञ वादे पर जीता है। पंडित वादे पर जीता है, परंतु पिछले दस हजार वर्षो में किसी ने कुछ किया? नहीं किया।
उनके नशीले पदाथरे के खिलाफ होने का कारण यह है कि नशीले पदार्थ उनका व्यवसाय बंद कर देंगे। अगर लोगों ने अफीम, एल.एस. सी., गांजा, चरस लेना शुरू कर दिया तो उन्हें न तो राजनीति की चिंता होगी, न कल क्या होगा इसकी चिंता, न इसकी चिंता कि मरने के बाद क्या होगा, न ईश्वर की और न ही स्वर्ग और नर्क की। वे उस क्षण में तृप्त हो जाएंगे। इसलिए धर्मो और संस्कारों का यह सारा विरोध है। अब तुम यह गहरी साजिश देखते हो-उनका कोई लेना-देना उस व्यक्ति के भले से नहीं है जो नशीली दवाएं ले रहा है, उनको सामाजिक ढर्रे को बरकरार रखकर अपना व्यवसाय जारी रखना है।
Tweet |