भागीदारी
किसी चीज के साथ भागीदारी होने और उसमें उलझने में अंतर है। जीवन को जानने का एक ही तरीका है-भागीदारी, पूरी तरह से शामिल होना।
जग्गी वासुदेव |
ये सिर्फ आध्यात्मिकता की बात नहीं है। आप किसी चीज में पूरी तरह से शामिल नहीं होते, उससे पूरी तरह से नहीं जुड़ते, तो क्या आप अपने जीवन में कुछ भी जान पाएंगे? लोगों में जो कमी है, वह है-भागीदारी। जब भागीदारी भेदभाव करके की जाती है तो उलझन बन जाती है, आप फंस जाते हैं।
तो अपनी भागीदारी को बिना किसी सोच-विचार के संपूर्ण होने दीजिए! जिस जमीन पर आप चलते हैं, जो खाना आप खाते हैं, जो पानी आप पीते हैं, जिस हवा में आप सांस लेते हैं और वह जगह जहां आप हैं, देखिए, क्या आप हर चीज के साथ पूरी तरह से शामिल हो सकते हैं? वैसे तो आप शामिल हैं ही, पर बिना जागरूकता के, अचेतन ढंग से। जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं, उसके साथ अगर आप पूरी तरह से शामिल नहीं हों, तो आप मर जाएंगे। आपको बस इस बात की जागरूकता रखनी है कि जीवन सिर्फ इसी ढंग से होता है। आपको बस यह देखना है कि आप जागरूक होकर भागीदार रहें।
आप बिना जागरूकता के शामिल होंगे तो यह बड़ा बोझ लगेगा। आप जागरूकता के साथ शामिल हों तो यह बहुत खुशी से भरा हुआ रहेगा। आज हम वैज्ञानिक तरीके से साबित कर सकते हैं कि आपके शरीर का हर एक परमाणु सारे ब्रह्मांड के साथ बात करता है। आप उस अद्भुत घटना से मुंह फेरने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके जीवन का मूल आधार है, और सृष्टि की रचना का भी।
आपकी तकलीफ इस वजह से नहीं है कि आप अपने परिवार के साथ बहुत ज्यादा जुड़े हुए हैं, बल्कि इस कारण से होती है कि आप उस अद्भुत घटना की ओर ध्यान नहीं देते। क्या आज सूरज सही समय पर निकला था? हां! धरती अपने सही समय पर चक्कर लगा रही है, फूल खिल रहे हैं। ब्रह्मांड की अनगिनत गैलेक्सियों में सब कुछ एकदम सही ढंग से हो रहा है। पर आपके दिमाग में एक खराब विचार आ जाता है और आपका दिन खराब हो जाता है। समस्या यह है कि आप ने यह समझ ही खो दी है कि आप कौन हैं? आप अपने स्वयं के बारे में बहुत ज्यादा ही सोचते हैं।
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